परिचय

आज देश के उस वीर सपूत की बरसी है, जिसने मातृभूमि की रक्षा के लिए ना केवल अपनी जान न्यौछावर कर दी बल्कि देशभक्ति की एक नई मिसाल लोगों के लिये पेश किये है, पूरा देश उनकी वीरता के आगे नतमस्तक है. भारत कभी भी अपने इस वीर बेटे की वीरता को भूल नहीं पाएगा। हम बात कर रहे हैं रहे हैं कारगिल के शेरशाह विक्रम बत्रा की, जिनकी आज 23वीं पुण्यतिथि है। पाकिस्तान के नापाक इरादों को अपनी वीरता से तार-तार करने वाले पालमपुर के वीर सिपाही कैप्टन विक्रम 7 जुलाई 1999 को बत्रा का निधन हो गया था। 15 अगस्त 1999 को, 24 साल की उम्र में ही अपनी वीरता, साहस और नेतृत्व क्षमता से सबको अपना दीवाना बनाने वाले इस साहसी योद्धा को परमवीर चक्र प्रदान किया गया।

जीवन परिचय

लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त हुए थे बत्रा, कारगिल की जीत की बात उनके बिना अधूरी है। मालूम हो कि उनका जन्म हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के बंदला में 9 सितंबर, 1974 को हुआ था। विक्रम बत्रा ने डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ से बीएसएसी की थी और इसके बाद उन्होंने सीडीएस पास करके सेना ज्वाइन की थी और इसके बाद वो जम्मू-कश्मीर राइफल्स में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त हुए थे।

अपनी बहादुरी, मस्त मौला अंदाज से सैन्य अकादमी में सबको मोहित करने वाले बत्रा को 1 जून 1999 को टुकड़ी के साथ कारगिल युद्ध में भेजा गया था। बहुत ही मुश्किल था वो ऑप्रेशन लेकिन बत्रा ने उसे भी बेहद आसान कर दिया था। 20 जून 1999 को जब बत्रा ने 3.30 AM पर श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर 5140 पीक को आजाद कराया था तब यहीं पर उन्होंने कहा था – ‘Yah Dil Mange More’, जो बाद में पूरे देश का नारा और बत्रा का पर्याय बन गया।


वीरता की कहानी

विक्रम बत्रा का योगदान कारगिल युद्ध में अद्वितीय है। उनकी वीरता और साहसपूर्ण कार्यों ने उन्हें देशभक्ति के प्रतीक के रूप में स्थापित किया। उन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान बहुत ही कठिन स्थितियों में भी सैनिकों का मोराल बढ़ाया और उन्हें प्रेरणा दी। वे अपने साथियों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करते थे और उन्हें अपने देश की सेवा करने का गर्व महसूस कराते थे।

वीरता की पहचान

कैप्टन विक्रम बत्रा को 15 अगस्त 1999 को ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित किया गया। यह सर्वोच्च योद्धा पुरस्कार भारतीय सेना में देश की सबसे ऊँची और महत्वपूर्ण पुरस्कारों में से एक है। इस पुरस्कार से व्यक्त किया जाता है कि विक्रम बत्रा जैसे वीर योद्धा की वीरता और साहस को सराहा जाता है और उन्हें उच्च सम्मान प्राप्त हुआ है।

प्रेरणा स्रोत

विक्रम बत्रा की कहानी और उनका साहस युवाओं में एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है। उनकी जीवनी और उनके साहसपूर्ण कार्य हर किसी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। वे दिखाते हैं कि आप किसी भी स्थिति में अपने देश की सेवा कर सकते हैं और अपने साथियों की सुरक्षा के लिए संकल्प ले सकते हैं। उनकी कहानी देशभक्ति और शौर्य की उत्कृष्ट उदाहरण है।

वीर विक्रम बत्रा के प्रश्नों के उत्तर
1. कारगिल युद्ध कब हुआ था?
कारगिल युद्ध 7 जुलाई 1999 से 26 जुलाई 1999 तक चला। यह भारत और पाकिस्तान के बीच हुए एक युद्ध था।

2. कैप्टन विक्रम बत्रा को किस पुरस्कार से नवाजा गया था?
कैप्टन विक्रम बत्रा को ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित किया गया था। यह भारतीय सेना का सबसे ऊँचा योद्धा पुरस्कार है।

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